डॉ. हरि नाथ मिश्र

दो अक्टूबर


दो अक्टूबर अपने देश की शान रहा है।


एक गांधी जन्मे दूजा लाल किसान रहा है।।


                 एक गांधी जन्मे....


जब-जब दौरे तूफाँ भारत पे आया है,


आज़ादी के चंदा को बादल ने छुपाया है।


तब बादलों में रौशन हिंदुस्तान रहा है।।


              एक गांधी जन्मे....


एक ऐसी घड़ी भी आयी, जब गोरे रंग जमाए,


अपनी रँग-भेदी चालों से माँ को बेड़ी पहनाए।


बेड़ी को तोड़ कर गांधी जाहिर जहान रहा है।।


            एक गांधी जन्मे....


नफ़रत की ज्वाला के जब शोले भड़के थे,


इन्साँ के लहू के ओले दुनिया पे बरसे थे।


शोलों से बचाया जो वो फ़क़ीर महान रहा है।।


          एक गांधी जन्मे....


जय किसान का लहज़ा जो हमें सिखाया है,


भारत-माता को हर-पल वो लाल भाया है।


लाल का दूसरा नारा जय जवान रहा है।।


       एक गांधी जन्मे....


भारत-माता की लाज को बच्चों ने बचाया है,


माँ की खातिर अश्क़ों को हर-दम बहाया है।


बच्चों में हमारे देश का इंसान रहा है।। 


         एक गांधी जन्मे....।।


                       © डॉ. हरि नाथ मिश्र


                         9919446372


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