बेहाल किसान, करे सवाल?
किसानों के ये बिगड़ते हुए हालात
टूटती उम्मीदों के बिखरते से जज्बात
सरकार और समाज के लिए
चिंताजनक है ये भड़कती आग
कर्जे के तले डूबते किसानों की आह !!
तिल- तिल मरते परिवार की कराह!!
मजबूर कर देता है उन्हें हारने को
आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने को
हालातों का मारा बेहाल किसान
करता है आज बेबस सवाल??
आजादी के बाद भी ना सुधरे,
क्यों है मेरे हालात बदहाल?
बनता हूं क्यों मुनाफाखोरी का शिकार?
आज भी व्यवस्था में क्यों है विकार?
सुधारों की चाल क्यों है धीमी इतनी?
इंतजार करता हूं टूटती है उम्मीदउतनी?
कैसे होगा मेरा देश खुशहाल ?
अन्नदाता ही जब होगा यहाँ बेहाल ?
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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