लाल बहादुर शास्त्री
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रत्नों सी आभा जिसकी
उसने कर दिया कमाल
संघर्षों को सदैव दिया
उत्कट धैर्य का जवाब
युवाओं के सामने
उसने रखी मिसाल
हिम्मत न हारी कभी
न पटके कभी हथियार
अंग्रेज हो या चीन हो
या हो पाकिस्तान
अपनी कूटनीति और
वीरता से दिया
उन्हें मुहतोड़ जवाब
अखंड भारत की
ज्योति को जलाये रखा
माँ भारती की
आन को बनाये रखा
तिरंगे को शान से
विश्व पटल पर फहराये रखा
जन जन को दिया नारा
जय जवान जय किसान
भारतमाता के सपूत
उन्हें कोटि- कोटि प्रणाम
व्यक्तित्व उस लाल का
है बड़ा ही महान
बहादुरी की मिसाल
जनता का प्यारा लाल
देश का प्यारा प्रधानमंत्री
पद उनका था उच्च
लेकिन जीवन सदा
सादा ही जीते
कभी किसी को
नहीं समझा उन्होंने तुच्छ
योगी सा जीवन अपनाया
मन मैं कभी अहंकार न लाया
भारतमाता का लाड़ला वह
किसान पुत्र की छाया
उनके जीवन का ध्येय यही
जननी की सेवा करूँ सदा
चरणों मैं निकले प्राण यहीं
जब प्राण गए
हर आँख थी नम
सीने मैं जन-जन के
उस क्षण।
भरा हुआ था केवल गम
तिरंगे मैं लिपटा चला गया
वो माँ का अमर सिपाही था
चेहरे पे अनोखी आभा थी
मस्तक पर गर्व का साया था
करती हूँ उन्हें नमन मैं भी
देती हूँ शब्दों से श्रद्धांजलि
डॉ. निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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