तुम्हारा इन्तज़ार और हसरतें बेशुमार
तुम्हारा इन्तज़ार और बेशुमार हसरतें,
बीते कितने वासन्तिक और मधुश्रावण प्रिये।
जलती रही दावानल विरह के आतप हृदय में,
छटेंगे कोहरे आशा मन किरणें खिलेंगी हिये।
उपहास बन नित चितवन मुकलित रसाल मुदित वन,
कोयल पञ्चम स्वर कूक से चिढ़ाता विरही प्रिये।
बहे पूरबैया मन्द मन्द स्पन्दित विचलित मन,
उदास मन अभिलाष लखि घनश्याम नभ मिलन के।
निहारती निशिवासर बस सरसिज नैन निशिचन्द्र,
पीड़ लखि तारे गगन पत्थर दिल करे परिहास प्रिये।
लजाती सकुचाती कुमुदिनी विहँसती पा चन्द्रहास,
पल पल जीवन कठिन तुझ बिन मिलन गलहार प्रिये।
लखि हर्षित चकोर युगल अनुराग मधुरिम मिलन,
बरसे घन भींगे तन पीन पयोधर वसन प्रिये।
सुरभित कमल कुसुमित वदन रतिराग उद्वेलित मन,
तजो मन राग प्रिय मधुश्रावण पुष्प पराग प्रिये।
इन्तज़ार ए मुलाकात सनम सही नहीं जाती,
भूलें हसरत विरह , करें बेशुमार मुहब्बतें।
मैंने हमदम प्रियतम किया तन मन तुझे अर्पण,
आओ प्रिय स्वप्न प्रीति मंजिल आशियाँ बनाएँ।
डॉ. राम कुमार झा निकुंज
नई दिल्ली
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