दिनांकः ०८.१०.२०२०
दिवसः गुरुवार
छन्दः मात्रिक
विधाः दोहा
शीर्षकः जनमत समझो मंत्र
जनता से सत्ता बनी , जनता से गणतन्त्र।
जनता दे सत्तावनत , जनमत समझो मंत्र।।१।।
करो प्रगति जनता सदा ,चिन्तन जन कल्याण।
निर्भय सम्बल जब प्रजा, हो सत्ता का त्राण।।२।।
लोकतन्त्र होता सफल , हो समता अधिकार।
संविधान सम्मत चले , नीति प्रीति आधार।।३।।
अभिव्यक्ति स्वाधीनता , करे न देश विरोध।
सबसे ऊपर देश हित , बने नहीं अवरोध।।४।।
सृजन कुंज भारत बने , कुसमित गंध निकुंज।
जन विकास केवल सुरभि , नवभारत जयगुंज।।५।।
राष्ट्र भक्ति रग रग भरे , भावित मन सम्मान।
हरित भरित धरती वतन , बने राष्ट्र वरदान।।६।।
मातृशक्ति रक्षण वतन , हो सबला निर्भीत।
लज्जा श्रद्धा माँ सुता , हो बहना प्रिय मीत।।७।।
मिटे देश हर दीनता , मानव सोच विचार।
शुष्क अधर मुस्कान भर,खुशियाँ मिले अपार।।८।।
परम वीर भारत बने , शौर्य चक्र अभिमान।
जीवन हो अर्पित वतन , मानस राष्ट्र विधान।।९।।
मुक्तामणि बन देश का , भारत माँ गलहार।
करो मान जनता वतन , दो विकास उपहार।।१०।।
रखो मान चौथा नयन , लोकतंत्र संचार।
सत्य न्याय अभिव्यक्ति हो,समरस नीति विचार।।११।।
रखो तिरंगा शान को , गर्व करो पुरुषार्थ।
जीओ पलभर जिंदगी , देशभक्ति परमार्थ।।१२।।
कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली
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