डॉ.राम कुमार झा "निकुंज

दिनांकः ०८.१०.२०२०


दिवसः गुरुवार


छन्दः मात्रिक


विधाः दोहा


शीर्षकः जनमत समझो मंत्र


 


जनता से सत्ता बनी , जनता से गणतन्त्र।


जनता दे सत्तावनत , जनमत समझो मंत्र।।१।।


 


करो प्रगति जनता सदा ,चिन्तन जन कल्याण।


निर्भय सम्बल जब प्रजा, हो सत्ता का त्राण।।२।।


 


लोकतन्त्र होता सफल , हो समता अधिकार।


संविधान सम्मत चले , नीति प्रीति आधार।।३।।


 


अभिव्यक्ति स्वाधीनता , करे न देश विरोध।


सबसे ऊपर देश हित , बने नहीं अवरोध।।४।।


 


सृजन कुंज भारत बने , कुसमित गंध निकुंज।


जन विकास केवल सुरभि , नवभारत जयगुंज।।५।।


 


राष्ट्र भक्ति रग रग भरे , भावित मन सम्मान।


हरित भरित धरती वतन , बने राष्ट्र वरदान।।६।।


 


मातृशक्ति रक्षण वतन , हो सबला निर्भीत।


लज्जा श्रद्धा माँ सुता , हो बहना प्रिय मीत।।७।।


 


मिटे देश हर दीनता , मानव सोच विचार। 


शुष्क अधर मुस्कान भर,खुशियाँ मिले अपार।।८।।


 


परम वीर भारत बने , शौर्य चक्र अभिमान।


जीवन हो अर्पित वतन , मानस राष्ट्र विधान।।९।।


 


मुक्तामणि बन देश का , भारत माँ गलहार।


करो मान जनता वतन , दो विकास उपहार।।१०।।


 


रखो मान चौथा नयन , लोकतंत्र संचार।


सत्य न्याय अभिव्यक्ति हो,समरस नीति विचार।।११।।


 


रखो तिरंगा शान को , गर्व करो पुरुषार्थ।


जीओ पलभर जिंदगी , देशभक्ति परमार्थ।।१२।।


 


कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"


रचनाः मौलिक (स्वरचित)


नई दिल्ली


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