बेटी से ही सारा जग है,
बेटी लक्ष्मी की अवतार।
यही सृष्टि की आदि शक्ति है,
रचती अति सुंदर परिवार।
बेटी घर की महती शोभा,
किया करो इसका सत्कार।
बेटी बिन घर सूना-सूना,
दिया करो इसको नित प्यार।
बेटी से ही सारी दुनिया,
इसे करो दिल से स्वीकार।
बेटी सुंदर सहज स्वरूपा,
करो तथ्य को अंगीकार।
बेटी जग की है सुंदरता,
सुंदर मन का यह आधार।
यह पूरक है अरु सम्पूर्णा,
भरापूरा रहता घर-द्वार।
कभी न कर इसको अपमानित,
समझो बेटी को उपहार।
बदलो सामाजिक संरचना,
जग पर बेटी का उपकार।
घृणा भाव को मन से फेंको,
जन्मोत्सव का करो प्रचार।
बेटे से बेटी बढ़कर है,
इस पहलू पर करो विचार।
अति संवेदनशील बेटियाँ,
बेटी सचमुच शिष्टाचार।
जननी बन देती सपूत है,
यह जीवन का असली सार।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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