डॉ. रामबली मिश्र

सच्चा मन


 


जहाँ थिरकता सच्चा मन है।


परमेश्वर का वहीं वतन है।।


 


मन को सच्चा सदा बनाओ।


ईश्वर को मन में ही पाओ।।।


 


जिसका मन निर्मल होता है।


ईश्वरीय बीज बोता है ।।


 


चंचल मन को स्थिर करना।


कुत्सितता को बाहर रखना।।


 


काटो काई साफ करो मन।


पहले मन को तब पीछे तन।।


 


मन को सरिता नीर समझना।


साफ-स्वच्छ नीर को करना।।


 


जितना ही यह निर्मल होगा।


उतना ही हरि दर्शन होगा।।


 


जितना पावन भाव तरंगें।


उतनी साफ-स्पष्ट शिव गंगे।।


 


जाया करे बुद्धि शिव गंगा।


सदा मनाये हर्ष उमंगा।।


 


चेतन बन हो प्रभु में लीना।


सिखलाये मानव को जीना।।


 


सीखे मानव दर्शन करना।


प्रभु चरणों का स्पर्शन करना।।


 


बने श्रृंखला धर्म-स्वरों की।


भीड़ मचे पावन लहरों की।।


 


मन सबका पावन बन जाये।


सहज ईश दर्शन हो जाये।।


 


उठे गगन में ध्वजा तिरंगा।


जागे मन में चेतन गंगा।।


 


मन जब निर्मल धवल रहेगा।


सारा जीवन सफल रहेगा।।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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