डॉ. रामबली मिश्र

अच्छा अगर नहीं सोचोगे....।


 


 अच्छा अगर नहीं सोचोगे,


समझो मरना निश्चित है।


अच्छा अगर नहीं सोचोगे,


 समझो डरना निश्चित है।


जो भी अच्छा नहीं सोचता,


गंदा करता निश्चित है।


जिसके मन में दाह-द्वेष है,


उसका जलना निश्चित है।


जिसके मन में भरी गंदगी


नाला बनना निश्चित है।


संभाषण जो करत कठोरा,


वही कसाई निश्चित है।


जो करता है वार अकारण


पापी बनना निश्चित है।


जो सच्चे को लांछित करता,


दूषित बनना निश्चित है।


जिसके मानस में संवेदन,


साधू बनना निश्चित है।


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मैं छंद हूँ


निबन्ध हूँ


निर्वाध हूँ 


अगाध हूँ


निर्द्वन्द्व हूँ


स्वच्छंद हूँ


मुझे बहने दो


स्वेच्छा से चलने दो


ऐसे ही रहने दो


दुनिया को कहने दो


मैं लिखता हूँ


खुद को पढ़ता हूँ


आनंद के लिये ऐसा करता हूँ


स्वतंत्र रचना करता हूँ


स्वयं के लिये जीता हूँ


जीने के लिये पीता हूँ


आकाश में उड़ता हूँ


समंदर में रत्न ढूढ़ता हूँ


पाताल को भी नाथता हूँ


मैं छंद हूँ


स्वयमेव आनंद हूँ।


आप भी लिखिए


छंद का चक्कर छोड़िए


आगे देखिए


बहुत दूर जाना है लौटकर नहीं आना है।


 


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गाँधी एक दृष्टि है


प्रेम की वृष्टि है


 


गाँधी एक विचारधारा है


सत्य का चमकता सितारा है।


 


गाँधी एक लोक है


अहिंसा का ब्रह्मलोक है।


 


गाँधी एक आत्मनिर्भर समाज है


सुंदर स्वराज है।


 


गाँधी एक दर्शन है


मानवता का स्पर्शन है।


 


गाँधी एक आंदोलन है


अत्याचारियों का मर्दन है।


 


गाँधी एक आग्रह है


महान सत्याग्रह है।


 


गाँधी एक संस्था है


विश्वास और आस्था है।।


 


गाँधी उदारवाद है


अन्त्योदयवाद है।।


 


गाँधी एक अवतार है


नैतिकता का आधार है


स्वतंत्रता का आगार है


जन-मन का विस्तार है।


 


गाँधी एक परिस्थिति है


विदेशी शासकों को मार भगाने की स्थिति है।


 


गाँधी एक नीति है


संगठित प्रीति-रीति है।


 


गाँधी एक मर्यादा है


जीवन सादा है।


 


गाँधी एक रचना है


स्वतंत्रता की संरचना है।


 


गाँधी एक धर्म है


भारतीयता का मर्म है।


 


गाँधी गुलाब का फूल है


भारतीय संस्कृति का मूल है।


 


गाँधी एक शैली है


सत्य-अहिंसाऔर प्रेम की थैली है।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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