युग्म व्यवस्था का महत्व
1-दुःख बिन सुख की नहीं महत्ता।
बिना हवा हिलता नहिं पत्ता।।
2-हानि डराती लाभ लुभाता।
डर सबको संयमित बनाता।।
3-मृत्यु सुनिश्चित से क्या डरना।
जीवन को नित उन्नत करना।।
4-लाभ सिखाता बचो हानि से।
सत्व बताता बचो ग्लानि से।।
5-समझो अहं स्वयं रावण है।
अहं मुक्त श्री रामायण है।।
6-गंदा जल ही संकेतक है।
पुनः शुद्धता हेतु सूचक है ।
7-अपराधी जब होते दण्डित ।
सज्जन होते महिमामण्डित।।
8-दुष्टों से सब बच कर रहते।
संतों को सब उर में रखते।।
9-युग्मों का संसार निराला।
एक विषैला इक मधु प्याला।।
10-विष औषधि है,अमृत पोषक।
युग्म महत्वपूर्ण विश्लेषक ।।
11-युग्मों से तुलना होती है।
शुचिता की रक्षा होती है।।
रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
युग्म व्यवस्था का महत्व
1-दुःख बिन सुख की नहीं महत्ता।
बिना हवा हिलता नहिं पत्ता।।
2-हानि डराती लाभ लुभाता।
डर सबको संयमित बनाता।।
3-मृत्यु सुनिश्चित से क्या डरना।
जीवन को नित उन्नत करना।।
4-लाभ सिखाता बचो हानि से।
सत्व बताता बचो ग्लानि से।।
5-समझो अहं स्वयं रावण है।
अहं मुक्त श्री रामायण है।।
6-गंदा जल ही संकेतक है।
पुनः शुद्धता हेतु सूचक है ।
7-अपराधी जब होते दण्डित ।
सज्जन होते महिमामण्डित।।
8-दुष्टों से सब बच कर रहते।
संतों को सब उर में रखते।।
9-युग्मों का संसार निराला।
एक विषैला इक मधु प्याला।।
10-विष औषधि है,अमृत पोषक।
युग्म महत्वपूर्ण विश्लेषक ।।
11-युग्मों से तुलना होती है।
शुचिता की रक्षा होती है।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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