दिव्य यार
दिव्य यार का प्यार चाहिये।
मुखड़े का दीदार चाहिये।।
बसे यार मेरे आँगन में।
थिरके मेरे मन-उपवन में।।
दिल में बैठे गाना गाये।
मौसम सुखद सुहाना लाये।।
छेड़े तान सदा मनभावन।
हो झंकृत तन-मन शोभायन।।
यार!तुम्हीं हो नाथ हमारा।
सिर्फ चाहिये साथ तुम्हारा।।
आओ गाओ नाचो हँसकर।
थिरक-थिरक कर मचल-मचल कर।।
मेरा यार बहुत मस्ताना।
उस पर पूरा जग दीवाना।।
सभी माँगते दुआ मिलन की।
कुछ करते हैं बात जलन की।।
यार बना है स्वाभिमान से।
यारी करता सदा मान से।।
परम प्रतिष्ठित दिव्य विभूती ।
पावन बहुत यार करतूती।।
यार सभी का नहीं यार है।
भाग्य शिरोमणि शुभ विचार है।।
भाग्यशालियों का यह संगी ।
अति उत्साहित सहज उमंगी।।
मेरा यार बहुत शीतल है।
भाग्यमान का यह भू-तल है।।
इसको केवल प्यार चाहिये।
मानव का विस्तार चाहिये।।
अतिशय भावुक यार परम शुचि।
सुंदर भाव-शव्द में ही रुचि।।
भोला-भाला शीघ्र दयाला।
देता यार खुशी का प्याला।।
परम वर्णनातीत प्रशंसा।
करे यार पूरी अभिलाषा।।
यही यार से सदा याचना।
पूरी करे यार कामना।।
कई जन्म का यह वियोग है।
वर्तमान का यह सुयोग है।।
साथ निभाना यार जानता।
जिसे जानता उसे चाहता।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें