डॉ. रामबली मिश्र

चलो बेटियाँ प्रगति करो नित


 


चलती रहना राह पकड़ कर।


बढ़ती जाना लक्ष्य चयन कर।।


 


कभी न काँटों से घबड़ाना।


करती जाना पार उछल कर।।


 


मत डरना तुम कभी प्रेत से।


करो सामना भय का डटकर।।


 


चिग्घाड़े यदि शेर राह में।


चलना सीखो आँख मिलाकर।।


 


तूफानों से मत घबड़ाना।


उन्हें भगाओ सदा बैठकर।।


 


तुम्हीं शक्ति की सहज नायिका।


चल खुद की पहचान बनाकर।।


 


रहो एकजुट सतत संगठित।


मार दरिंदों को मिलजुलकर।।


 


कभी न पीछे मुड़कर देखो।


चलना अपना कदम बढ़ाकर ।।


 


साध्य कठिन को सरल बनाना।


चलो बढ़ो पढ़-लिख मेहनत कर।।


 


ठोकर को तुम फूल समझना।


कर नफरत पर वार सँभलकर।।


 


पढ़ो जगत की गतिविधियों को।


सावधान खुद रहो अटल कर।।


 


भावुकता में मत बह जाना।


बुद्धिवादिनी दृष्टि अचल कर।।


 


तुम्हीं हिमालय की बेटी हो।


सोच बैठना विश्व शिखर पर।।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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