डॉ रामबली मिश्र

मैं परम भारतीय संस्कृति हूँ


 


मैं विदेश चली गयी


विदेशी चकाचौंध


में बह गयी


कुछ समय के लिये


खुद को भूल गयीं


विदेशी लबादा


विदेशी संस्कृति


विदेशी आबो-हवा


विदेशी मिट्टी


विदेशी आकाश


विदेशी तारा मण्डल


विदेशी जूते-सैंडल


लेकिन कब तक?


मन भर तक


मनभर तक


मन में उबाल


भारतीय संस्कृति का ख्याल


देश प्रेम


दासता का घोर विरोध


प्रतिशोध


आजादी की जंग


सत्य का उमंग


अनाचार का अंत


त्वरित वसंत


आगमन की अपरिहार्यता


तात्कालिक आवश्यकता


भारतीयता का जागरण


स्वदेश आगमन


खुद लड़ी


खूब लड़ी


सत्य की तलवार ले कर


सत्य रथ पर चढ़ कर


खूब ललकारा


छक्का छुड़ाया


आततायियों को भगाया


आजादी दिलायी


सत्य अहिंसा और प्रेम का पाठ पढायी


भारतीय संस्कृति हो न 


बापू हो न।


नमस्ते बापू


नमस्ते भरत


नमस्ते भारत


वंदे मातरम


 


डॉ रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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