डॉ. रामबली मिश्र

सुनो.....।


 


कान खोलकर बात सुनो इक।


बात-बात में मत कर झिक-झिक।।


 


दंभी मत बन करो प्रतिज्ञा।


मान बुजुर्ग लजनों की आज्ञा।।


 


मगरूरी में जीना छोड़ो।


ऐंठन से तुम नाता तोड़ो।।


 


जो भरता है तेरी प्याली।


उसको ही हो गाली।।


 


जो तेरा सच्चा सहयोगी।


उसको कहते हो तुम भोगी।।


 


जो तेरा अच्छा रखवाला।


उसे पिलाते गम की हाला।।


 


जो बनता है तेरा रक्षक।


हो जाते हो उसके भक्षक।।


 


शर्म करो बेरहम बनो मत।


मानव बनने पर हो सहमत।।


 


डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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