*ऐ शव्द! बहा करना*
*मात्रा भार 12/16*
ऐ शव्द, बहा करना।
बने कर्णप्रिय चलते रहना।।
अपने आँचल से तुम।
सबको शीतल करते रहना।।
बहते रहना प्रति पल।
बने बहार मचलते रहना ।।
अपनी प्रिय वाणी से।
सबको मोहित करते रहना।।
तुम्हीं बने हो ब्रह्म ।
सबको मधुमय करते रहना।।
बैठो सबके दिल में।
मानवता को प्रेरित करना।।
बनकर चलना वाक्य।
बन सुलेख हित करते रहना।।
बनो गुलाब का फूल।
जग में सदा महकते रहना।।
बनकर चलो शरीरी ।
शुभ समाज को विकसित करना।।
बनकर पुस्तक घूमो।
शव्द !जगत को उत्तम रचना।।
बनना सुंदर कर्मी।
पावन शिवमय प्रतिमा गढ़ना।।
रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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