डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी

*हृदय स्पर्श कर*


*(चौपाई ग़ज़ल)*


 


हॄदय स्पर्श कर सकल जगत का।


स्वागत कर सारे सहमत का।।


 


बनकर उद्धृत जीना सीखो।


सम्मानित कर नित आगत का।।


 


बन उदाहरण स्वयं पेश हो।


बनना पात्र सदा स्वागत का।।


 


काम आदि दोष को दुश्मन।


जान करो स्वागत शिवमत का।।


 


दुश्मन को भी मित्र समझना।


भूलो उसका कर्म विगत का।।


 


मर्म शुद्ध कर हृदय सँवारो।


स्वर्ण बनाओ सदा रजत का।।


 


भक्ति भाव का हो संचारण।


मिले सभी को हृदय भगत का।।


 


जलनेवालों भी शुभेच्छु हैं।


शीतल करना हृदय जरत का।।


 


झरनेवाले भी उपयोगी।


कर एकत्रीकरण झरत का।।


 


मत समझो तुम वर्फ बुरा है।


करो ग्रीष्म में योग ठरत का।।


 


संवेदना रहे सबके प्रति।


करो सुरक्षा सतत डरत का।।


 


औषधीय सब वृक्ष मनोहर।


करो सिंचाई सदा फरत का।।


 


सारे जग को शांत बनाओ।


रक्षक बन जा हृदय-परत का।।


 


रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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