डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी

*बोलो मेरे मीत*


*मात्रा भार 11/16*


 


बोलो मेरे मीत।


कहीं न जाना मुझे छोड़कर।।


 


आते रहना मीत।


एक अकेला आना चलकर।।


 


मेरे प्यारे मीत।


साझा करना समय बिताकर।।


 


तुम अजीज हे मीत।


रस बरसाना अब प्रियतम पर।।


 


तुम्हीं एक हो मीत।


तू ही हो मेरे अति दिलवर।।


 


दिल में रहना मीत ।


आजीवन बाँहों में बंधकर।।


 


चुंबन करना मीत।


सतत रहें अब इक संगम पर।।


 


साथ-साथ रह मीत।


कभी न जाना कहीं भटककर।।


 


बन जायें इक मीत।


रसाकार मधु अमृत बनकर।।


 


बहकाना मत मीत।


चलना है बस प्रीति पंथ पर।।


 


रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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