डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी

*हृदय परिवर्तन*


 *(चौपाई )*


 


हृदय बदलना बहुत जरूरी।


हृदयशून्यता पशुता पूरी।।


 


संवेदना हॄदय की थाती।


दिव्य हृदय की है यह छाती।।


 


बिन संवेदन मनुज क्रूर है।


मानवता से बहुत दूर है।।


 


सदा पापरत दूषित व्यसनी।


भोगी कामी गंदी करनी।।


 


संवेदन का जहँ संकट है।


दैत्य दानवों का जमघट है।।


 


बिन संवेदन टूट रहे सब।


सुंदरता को लूट रहे अब।।


 


बहुत बढ़ रहे आज दरिंदे।


अब तो जलाये जाते जिंदे।।


 


बलात्कार का हाल बुरा है।


करती रुदन-विलाप धरा है।।


 


मानवता हो रही विखण्डित।


दानव होता महिमामण्डित।।


 


संवेदना स्वर्ग की रानी।


रोते अब पृथ्वी के प्रानी।।


 


संवेदना धर्म की देवी।


बन संवेदन का नित सेवी।।


 


इस देवी को नित्य मनाओ।


दिल में इनको अब बैठाओ।।


 


यज्ञ-हवन से पूजन करना।


दीप-धूप से वंदन करना।।


 


हाथ जोड़ कर करो निवेदन।


दिल में उतरो हे संवेदन।।


 


दिल में कोमल भाव जगाओ।


आँखों में आँसू भर लाओ।।


 


करुणा-गंगा नित्य बहाओ।


उत्तम पावन गाँव बसाओ।।


 


छात्र पढ़ें सब मानवता को।


दफनाते रह दानवता को।।


 


इकजुटता है अत्यावश्यक।


मानव संरक्षण आवश्यक।।


 


अब संवेदन को जिंदा कर।


कोमल चित कृपाल प्रिय बनकर।।


 


रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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