डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी

*माँ श्री से कर सदा याचना*


 


सर्व मंगला मंगलकारी।


शिवा स्वरूपिणि विद्याधारी।।


 


ज्ञान गगन गरिमा गिरि गिरिधर।


नारायणि नित नाथ नामवर।।


 


विश्वाधारय अनंत लोका।


लिखती सतत मधुर शिव श्लोका।।


 


विश्व पटल पर कामधेनु हो।


अमर अजन्मा परम रेणु हो।।


 


महाकार अति व्यापक वदना।


बोल रही माँ अति प्रिय वचना।।


 


सर सर सर सर चलत विवेकी।


करती रात-दिवस शुभ नेकी।।


 


हर हर हर हर गंगा यमुना।


माँ सरस्वती हंसा सुगना।।


 


क्रोध नहीं करती माता हैं।


विद्यादानी सुखदाता हैं।।


 


चम चम चम चम चमकत माता।


महा इत्र जिमि गमकत माता।।


 


है नौरात्र सदा माँ श्री का।


ले चरणामृत नित माँ श्री का।।


 


गाओ भजन लिखो दिन-राती।


नाम जपो माँ का दिन-राती।।


 


महा सरस्वति नव दुर्गा हैं।


समझ इन्हीं को प्रिय दुर्गा हैं।।


 


सहज भाव से मिलो इन्हीं से ।


लेना सुंदर काम इन्हीं से।।


 


माँ श्री से कर सदा याचना।


निष्कामी शिव रूप माँगना।।


 


माँ श्री का वंदन करो, रहो उन्हीं के धाम।


भजनानंदी रूप धर,करो दिव्य विश्राम।।


 


रचनाकार:डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी


9838453801


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