अब मत रूठो
अब मत रूठो।
मुस्कानों से स्वागत करना।।
अब मत रूठो।
हँसते ही अब मुझसे मिलना।।
अब मत रूठो।
बाँह पकड़ कर चलते रहना।।
अब मत रूठो।
कदम-कदम पर बातें करना।।
अब मत रूठो।
मीठी-मीठी कहते रहना।।
अब मत रूठो।
दिल से दिल को जोड़े रहना।।
अब मत रूठो।
प्रीति रसामृत पीते रहना।।
अब मत रूठो।
विनिमय नियम बनाये रखना।।
अब मत रूठो।
सजना, सदा सजाते रहना।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें