कलियुग की माया
सभी वासना से हैं व्याकुल।
भोग-कामना से अति आकुल।।
चौतरफा संग्राम छिड़ा है।
जर-जोरू के लिये भिड़ा है।।
बढ़ते आज दरिंदे निचकट।
करत छिनैती लंपट चोरकट।।
बहू-बेटियाँ अब असुरक्षित।
पुलिस-प्रशासन तुच्छ-प्रफुल्लित।
विघटन का यह दौर चल रहा।
बड़ा गरीबों को निगल रहा।।
मन दूषित हो गया आज है।
बीत गया अब रामराज है।।
पाप नाचता सबके ऊपर।
तामस भाव भर गया भीतर।।
दैहिक -भौतिक यह कलियुग है।
विकृत मूल्यों का यह युग है।
छल-छद्मों का ज्वार आ गया।
प्रेतों का दरबार छा गया।।
चौतरफा है घोर निराशा।
अति धन संग्रह की अभिलाषा।।
जंगल बनता अब समाज है।
गन्दे लोगों का स्वराज है।।
लक्ष्य बन गया है अब दोहन।
गायब अब मुरली-मनमोहन।।
कुंठित सारा जगत-जमाना।
सब करते दिखते मनमाना।।
घोर निशा की काली छाया।
नचा रही कलियुग की माया।।
=====================
सत्य-अहिंसा-प्रेम पुजारी
सत्य-अहिंसा-प्रेम पुजारी।
गाँधी जी की दुनिया न्यारी।।
सत्य-अहिंसा-प्रेम ही गाँधी।
मिली देश को है आजादी।।
सत्यग्रह उपवास नियम प्रिय।
भारतीयता कूट-कूट हिय।।
प्रेम सुधा वट के संपोषक।
शीतल छाया के उद्घोषक।।
दयावान अति सरल कृपालू।
अति संवेदनशील दयालू।।
सम्मोहक आकर्षक भव्या।
अति साधारण वेश सुसभ्या।।
लाठी -कोपीन और नहीं कुछ।
साधारण चप्पल ही सब कुछ।।
परम नीतिवान खुद संस्था।
भारत के प्रति अमिट आस्था।।
अति संघर्षशील उत्प्रेरक।
सारी जनता के प्रिय प्रेरक।।
सत्य जीवनी प्रेम कहानी।
धर्म-अहिंसा अति मृदु वानी।।
मोहनदास कर्मचंद गाँधी।
राष्ट्रपिता अतुलित जनवादी।।
राम-कृष्ण सन्देश मनीषी।
रामायण-गीता उपदेशी।।
भारतीय संस्कृति संवाहक।
अति मधुरामृत भाव सुचालक।।
दिव्य धाम प्रिय गाँधी आश्रम।
आत्मनिर्भरा शक्ति सु-आगम।।
वन्दनीय महनीय यशस्वी।
स्वतंत्रता- संग्राम-तपस्वी।।
भारत पालक -पोषक जिमि पित।
राष्ट्र शिखर पर अज-अम -स्थापित।।
अमर राष्ट्र भारत निर्माता।
श्री गाँधी जग में विख्याता।।
अति श्रद्धेय भरत इव जानो।
भारत-गंगा को पहचानो।।
यह बापू का धर्म-कर्म था।
आजादी का जश्न मर्म था।।
गाँधी के कदमों पर चलना।
साफ-सफाई करते रहना।।
पुनः करो आजाद देश को।
भ्रष्ट आचरण मुक्त देश को।।
गन्दे भावों को जलने दो।
पावन संस्कृति को रचने दो।।
रहो समर्पित सदा राष्ट्र को।
देना सीखो सतत राष्ट्र को।।
जो देता है वह साधू है।
वही अथाह अमर बापू है।।
बापू संत समाज प्रतीका।
सब कुछ सरस सकल रस नीका ।।
डॉ. रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें