डॉ शिवानी मिश्रा

हरि महिमा(मुक्तक काव्य)


 


 


हरि सत्य है


हरि सार्थक,


हरि ही जीवन


हरि ही माया


हरि मिथ्या


हरि से ही 


बनी यह दुनिया


हरि ही ज्ञान


हरि अज्ञान


हरि से ही


सबके प्राण


हरि ही रचना


हरि ही रचयिता


हरि ही विध्ना


हरि ही विधान


हरि ही भोजन


हरि मिष्ठान


हरि ही क्षुधा


हरि ही पान


हरि ही वृक्ष


हरि ही पुष्प


हरि ही मानव


हरि से दानव


हरि से जीवन


हरि ही मृत्यु


हरि से ही


समस्त संसार


हरि हैं कर्ता


हरि ही कारक


हरि से ही होता


सबका कल्याण।


 


 


डॉ शिवानी मिश्रा


प्रयागराज।


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