डॉ0 हरि नाथ मिश्र

 चतुर्थ चरण (श्रीरामचरितबखान)-9


अस कह बाली निज तन त्यागा।


पाइ कृपा प्रभु अरु अनुरागा।।


     बिकल बियोगहिं तारा देखा।


     कहे मिटै नहिं बिधि कै लेखा।।


तारा सुनु ई अधम सरीरा।


छिति-जल-पावक-गगन-समीरा।


    निर्मित अस तन काम न काहू।


    रुदन तोर नहिं सोहै आहू।।


माया-मुक्त पाइ अस ग्याना।


तारा भई सुबिग्य-सुजाना।।


   बुला सुग्रीवहिं कह रघुबीरा।


    मृतक क करम करउ धरि धीरा।।


लखन बुलाइ कहे प्रभु रामा।


करहु राज सुग्रीवहिं नामा।।


दोहा-लखन बुला पुर-जन तुरत,बिप्र समच्छ पद-राज।


        सुग्रीवहिं कहँ देइ के,अंगद किन्ह जुवराज ।।


        स्वारथ बस सुर-नर-मुनी,मातु-पिता,गुरु-बंधु।


        करहिं प्रीति जग महँ सभें,राम सकल संबंधु।।


        पुनि बुलाइ सुग्रीव प्रभु,राज-पाट सभ दीन्ह।


        कहे करउ अब राज तुम्ह,सँग अंगद कहँ लीन्ह।।


                         डॉ0हरि नाथ मिश्र


                           9919446372


 


दसवाँ अध्याय (श्रीकृष्णचरितबखान)-5


छूइ चरन तब धाइ प्रभू कै।


करन लगे स्तुती किसुन कै।।


    हे घनरूप सच्चिदानंदा।


    हे जोगेस्वर नंदहिं नंदा।।


अहउ तमहिं परमेस्वर नाथा।


सकल चराचर तुम्हरे साथा।।


     तुमहिं त जगतै स्वामी सभ जन।


     अंतःकरण-प्रान अरु तन-मन।।


तुम्ह अबिनासी अरु सभ-ब्यापी।


रहहु अदृस सभकर बपु थापी।।


    तुम्ह महतत्वयि प्रकृति स्वरूपा।


    सुक्ष्मइ सत-रज-तमो अनूपा ।।


तुम्ह परमातम जानन हारा।


सूक्ष्म-थूल-तन कर्मन्ह सारा।।


     समुझि न आवै तुम्हरी माया।


     जदि उर बृत्ति-बिकार समाया।।


तुमहीं अद्य-भविष्यत-भूता।


नाथ भगत जन एकल दूता।।


    बासुदेव प्रभु करहुँ प्रनामा।


     पर ब्रह्महिं प्रभु सभ गुन-धामा।।


प्रनमहिं हम दोउ भ्रात तुमहिं कहँ।


तुमहिं भगावत पाप मही कहँ।।


     लइ अवतारहिं धारि सरीरा।


     हरहिं नाथ सभ बिधि जग-पीरा।।


पुरवहिं प्रभू सकल अभिलासा।


बनै निरासा तुरतै आसा ।।


     साधन-साध्यइ अहहिं कन्हैया।


     मंगल अरु कल्यान कै नैया।।


परम सांत जदुबंस-सिरोमन।


निसि-दिन रहैं सबहिं के चित-मन।।


      प्रभु अनंत हम सभ प्रभु-दासा।


       प्रभुहिं त आसा अरु बिस्वासा।।


दोहा-नारद कीन्ह अनुग्रहहि, भयो दरस प्रभु आजु।


        तारे प्रभु हम पापिहीं,सुफल जनम भे काजु।।


                    डॉ0हरि नाथ मिश्र


                      9919446372


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