डॉ0 हरि नाथ मिश्र

 तृतीय चरण (श्रीरामचरितबखान)-27


 


तब प्रभु राम मुनी तें कहहीं।


जे जग मोर भरोसा करहीं।।


     करहुँ तासु रखवारी हमहीं।


     जस निज सुत महतारी करहीं।।


माता-गउ जग एक समाना।


निज सुत-बच्छ देहिं निज प्राना।।


    होत सयान देखि गो-माता।


    रखहिं न तिन्ह सँग पाछिल नाता।।


जदपि सनेह थोर नहिं रहई।


अतुल नेह पर तस नहिं भवई।।


     भगत मोर बल निज बल मानै।


     छाँड़ि मोंहि नहिं औरहु जानै।।


निरछल भगति पछाड़ै रिपुहीं।


काम-क्रोध-मद-लोभ जे रहहीं।।


     जदपि सत्रु ये सभ दुखदाई।


     माया बड़ी इन्हन्ह तें भाई।।


सकल बासना-बिपिन मँझारी।


माया रूपी नारि पियारी।।


     बेद-पुरानहिं-संत बखानै।


    षट ऋतु सम सुभाउ तिय जानै।।


हेम-सिसिर ऋतु,सरद-बसंता।


बरषा-गृष्म कहहिं जे संता।।


     जदपि नारि ममता कै मूरत।


      मातु तुल्य नहिं कोऊ सूरत।।


काम-क्रोध-प्रपंच-भंडारा।


रुष्ट भए तै तपै अँगारा।।


    नारि-बियाह भगत नहिं सोहै।


    जप-तप-नियम भगत सभ खोवै।।


दोहा-सुनि के प्रभु कै अस बचन,नारद पुलकित गात।


         नैन अश्रु-पूरित मुनी,कहत भए अस बात ।।


                       डॉ0हरि नाथ मिश्र


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आठवाँ अध्याय (श्रीकृष्णचरितबखान)-7


 


एक दिवस बलदाऊ भैया।


लइ गोपिन्ह कह जसुमति मैया।।


     माई,खाए किसुन-कन्हाई।


     माटी इत-उत धाई-धाई।।


पकरि क हाथ कृष्न कै मैया।


कह नटखट तू बहुत कन्हैया।।


     काहें किसुन तू खायो माटी।


     अस कहि जसुमति किसुनहिं डाँटी।।


सुनतै कान्हा डरिगे बहुतै।


लगी नाचने पुतरी तुरतै।।


    झूठ कहहिं ई सभें हे मैया।


    गोप-सखा-बलदाऊ भैया।।


अस कहि कृष्न कहे सुनु माई।


नहिं परतीति त मुँहहिं देखाई।।


    अब नहिं बाति औरु कछु बोलउ।


    कहहिं जसोदा मुहँ अब खोलउ।।


तुरत किसुन तब खोले आनन।


लखीं जसोदा महि-गिरि-कानन।।


      सकल चराचर अरु ब्रह्मंडा।


      बायु-अग्नि-रबि-ससी अखंडा।।


जल-समुद्र अरु द्वीप-अकासा।


विद्युत-तारा सकल प्रकासा।।


    सत-रज-तम तीनिउँ मुख माहीं।


    परे जसोदा सभें लखाहीं।।


जीव-काल अरु करम-सुभावा।


साथ बासना जे बपु पावा।।


     बिबिध रूप धारे संसारा।


     स्वयमहुँ देखीं जसुमति सारा।।


दोहा-किसुन-छोट मुख मा लखीं,जसुमति रूप अनूप।


        सकल विश्व जामे रहा,जल-थल-गगन-स्वरूप।।


                 डॉ0 हरि नाथ मिश्र


                   9919446372


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