लिए समर्पण-भाव हृदय में,
अपनी बाँह पसारे हैं।
आओ, प्रियवर देख रहे पथ-
मादक नैन हमारे हैं।।
चाहत के आँगन में अपने,
हमने सेज सजाई है।
नील गगन की चंद्र-चंद्रिका,
दिलवर, देख बुलाई है।
प्रेम-सुमन से सभी सुगंधित-
घर-आँगन-चौबारे हैं।
मादक नैन हमारे हैं।।
शीतल-मंद समीर सुगंधित,
मन में भाव जगाता है।
पिया-मिलन का भाव हृदय में,
बार-बार उकसाता है।
बिंदी-काजल-कंगन-चूड़ी-
पहन शरीर सवाँरे हैं।
मादक नैन हमारे हैं।।
प्रेम प्यास-विश्वास-आस है।
इसकी शुचिता न्यारी है।
प्रेम-भावना विमल सोच है,
सभी सोच पर भारी है।
सदियों से हम इसी सोच को-
साजन,उर में धारे हैं।
मादक नैन हमारे हैं।।
प्यासी नदी सिंधु से मिलती,
जल-बूँदों का धरा-मिलन।
रस-पराग-मकरंद हेतु ही,
होता भौंरों का गुंजन।
इस नैसर्गिग सहज मिलन को-
खड़े आज हम द्वारे हैं।
मादक नैन हमारे हैं।
करें यत्न हम दोनों मिलकर,
प्रेम-ज्योति यह जला करे।
हरे तिमिर घनघोर जगत का,
भटके जन का भला करे।
सच्चे प्रेमी तूफानों से-
नहीं कभी भी हारे हैं।
आओ, प्रियवर देख रहे पथ,
मादक नैन हमारे हैं।।
©डॉ0 हरि नाथ मिश्र
9919446372
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