राजा रंक सभी फल ढोते
मनुज जन्म लेकर जो जन्मे
पर जीवन का सार न समझे
आलस , काम ,क्रोध ,माया में
जीवन किया निष्फल इस जग में
कभी ईश वन्दन नहीं करते
पर पीड़ा ही सुख हो जिनका
मानवता से क्या नाता उनका
किया अधर्म कुमार्ग पर चलते
कर्मो का फल ढोते रहते
राजा हो या रंक नियति पर
होता न्याय समान जगती पर
पूर्व जन्म या फलित जन्म हो
भुगते कर्म फल जैसा किया हो
जैसे को तैसा ही मिलता है
ईश न्याय कभी भेद न करता
कर्मो के फल ढोने पड़ते
राजा रंक सभी फल ढोते।
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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