डॉ0 निर्मला शर्मा

●जीवन के रंग ●


जन्म से मृत्यु पर्यन्त


जीवन के हैं अनेक रंग


कभी धूप कभी छांव सा


 जीवन चले ढलती शाम सा 


विविध रंगों से सजा ये जीवन 


शिशु, बालक, युवा होता ये तन


 गहराती ये शाम सुहानी 


जीवन की अनकही कहानी 


संघर्षों से तपा ये जीवन 


देता नई भोर की दस्तक 


अग्नि में जब स्वर्ण तपाया


 वह उतना ही निखर के आया


कर्मठ बनो छोड़ दो आलस


 बदलो रेखाओं का मानस


 जिसने कर्म पथ है अपनाया


 जीवन उसने ही चमकाया


 जगत- भंवर मैं डटा है जमकर


 पाया उसने हर पल अवसर


 डॉ0 निर्मला शर्मा


 दौसा राजस्थान


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...