एस के कपूर श्री हंस

*विषय/विधा।।बाल साहित्य*


*( गद्य अथवा पद्य )*


 


*रचना शीर्षक।।*


*चमक ही चमक नहीं,*


*रोशनी जगाइये।।*


 


चंदामामा से बच्चों को,


कभी दूर मत करना।


पर लाड़ प्यार भी उन्हें


भरपूर मत करना।।


बचपन कभी बच्चों का


गुम न होने पाये।


पर रखो बंद करके अंदर 


यह जरूर मत करना।।


 


खेलने दो कश्ती से और


भरने दो उड़ान।


मिट्टी का घरौंदा उनको


और बनाने दो मकान।।


मत बहुत आदत डालो


टी वी ओ मोबाइल की।


उम्र से पहले ही उन्हें


मत बनने दो जवान।।


 


संस्कार संस्कृति का


पाठ शुरू से पढ़ाइये।


आदर आशीर्वाद का


भाव शुरू से बताइये।।


सीखने और करने की


भावना पैदा हो अंदर।


चमक ही चमक नहीं


रोशनी शुरू से जगाइये।


 


एस के कपूर श्री हंस


बरेली।


मोब 9897071046


        8218685464


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