राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 151 वीं
जयंती पर राष्ट्र को समर्पित एक मुक्तक
अहिंसा का मार्ग, दिल में स्वराज,
करोडों का एक ही आगाज़ था।
पराधीनता सपनेहुँ सुख नहीं बस,
मिले स्वाधीनता का ही ख्वाब था।।
भगतसिंह, नेताजी और बापू,
टिक नहीं पाये यह गोरे अंग्रेज़।
इसलिए सन सैंतालीस को हुआ,
अपना भारत महान आज़ाद था।।
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प्रेरणा परिवार मुक्तक प्रतियोगिता
बापू के अहिंसा मन्त्र से ही हुआ
आज़ादी का ये उजियारा है।
राष्ट्रपिता के प्रयत्नों से ही बना
भारत इक स्वच्छ किनारा है।।
हमसब महात्मा गांधी को पूजते
पर नहीं करते हैं अनुसरण।
आज अहिंसा के पुजारी को
यहाँ हिंसा ने मारा है।।
एस के कपूर श्री हंस
बरेली।
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