एस के कपूर "श्री हंस"

*रचना शीर्षक।।*


*परदा गिरने के बाद भी याद रहे*


*किरदार सारे संसार को।।*


 


क्रोध और आँधी होते हैं


दोनों एक सामान।


दोनों ही जैसे चलते हैं


मानो तीर कमान।।


एक बात तो समान दोनों


में ही होती है ।


क्रोध, आँधी दोंनों ही करते


हैं इक बड़ा नुकसान।।


 


जैसे जंग खा जाता है खुद


लोहे को ही।


गुस्सा भी खा जाता है क्रोध


के रोये को ही।।


क्रोध तो वह आग धुंआ जाता


आदमी के भीतर को।


होशो हवास नहीं रहता क्रोध


के खोये को ही।।


 


संघर्ष आदमी को कभी


थकाता नहीं है।


डर आदमी को कभी मजबूत


बनाता नहीं है।।


चुनौतियों से घबरा कर बैठना


ठीक नहीं होता।


खुद पर अविश्वास कभी भी


जिताता नहीं है।।


 


कुदरत ने तो आनंद ही बनाया


दुःख हमारी खोज है।


प्रभु के बंदे एक जैसे छोटा बड़ा


तो हमारी सोच है।।


हम खुद खोद देते अपनी खाई


समझ के फेर में।


खो देते बने बनाये प्यार को यही


तो हमारी लोच है।।


 


जिन्दगी में निभायो बहुत शिद्दत


से अपने किरदार को।


कि जीत मिल कर ही रहे उसके


असली हकदार को।।


मत हारना हिम्मत जब कभी


मुश्किल हो पास तुम्हारे।


कि परदा गिरने के बाद भी याद


रहे सारे संसार को।।


 


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"


*बरेली।।*


मोब।। 9897071046


                      8218685464


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