नहीं हौंसला गँवाया तो
जान लो जीत पक्की है।।
मुक़द्दर मेहनत से बनता,
कोई ख्वाब नहीं है।
जान लो कि बिना कर्म के,
कोई कामयाब नहीं है।।
किस्मत उंगलियों को,
खूब पहचानती हैं।
मेहनत वो कर सकती जिस,
का कोई हिसाब नहीं है।।
वक़्त हँसाता और वक़्त ही,
रुलाता भी है।
वक़्त ही हमको बहुत कुछ,
सिखाता भी है।।
जो जानता वक़्त की कीमत,
वही पाता है मंज़िल।
वरना कभी भी वो सफल,
हो पाता नहीं है।।
आँखों में चमक और चेहरे,
पर हमेशा नूर रखो।
अपने भीतर आत्म विश्वास,
तुम जरूर रखो।।
चेहरे पर मत आने दो कभी,
तुम हार की शिकन।
जीत पक्की है तुम्हारी बस,
हताशा तुम दूर रखो।।
*रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस
*बरेली।।*
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