।बेटी बचायें/बेटी पढ़ाएं*
*रचना शीर्षक।।*
*बेटियों के जरिये ही आतीं*
*रहमते भगवान की।।*
महाभारत चीरहरण हर दिन
है चिता जलती हुई।
हो रही रोज़ मौत इक
बेटी की पलती हुई।।
बच्ची की दुर्दशा देख रोता
है मन मायों का।
चीत्कारों में मिलती आशा
नारी की गलती हुई।।
दानवता दानव की अब बस
शामत की बात करो।
कहाँ हो रही चूक बस उस
लानत की बात करो।।
हर किसी को जिम्मेदारी
समाज में लेनी होगी।
सुरक्षा बेटियों की बस इस
बाबत की बात करो।।
अच्छा व्यवहार बेटियों से
ही निशानी इंसान की।
इनसे घर शोभा बढ़ती जैसे
परियां आसमान की।।
बेटी को भी दें बेटे जैसा घर
में प्यार और सम्मान।
मानिये कि बेटियों के जरिये
आती रहमते भगवान की।।
खुशियाँ जमाने भर की संग
वह बटोर लाती है।
खुशनसीब हैं वो लोग जिनके
घर बेटी आती है।।
सृष्टि की रचनाकार ईश्वर का
प्रतिरूप हैं बेटियाँ।
सुख दुख में बेटों से भी बड़ा
काम बेटियाँ कर जाती हैं।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।*
फिर बन जाता है स्वर्ग वहीं*
*(हाइकु)*
1
न्याय प्रियता
यही तो स्वर्ग देश
मन चाहता
2
करुणा वास
वही स्थान स्वर्ग है
दया निवास
3
सत्य की जय
बन जाता स्वर्ग है
नहीं हो भय
4
संवेदना हो
होता स्वर्ग का वास
जहाँ भाव हो
5
सुंदर सोच
क्रोध नहीं तो स्वर्ग
नहीं हो रोष
6
दानशीलता
उपकार स्वर्ग है
नम्र शीलता
7
आत्म चिंतन
बन जाता स्वर्ग वो
आत्म मनन
8
निर्मल मन
यही तो स्वर्ग बस
स्वस्थ हो तन
9
मानव प्रेम
स्वर्ग बसता वहीं
रहें सप्रेम
10
सहनशील
धैर्य से बने स्वर्ग
बनो सुशील
11
प्यार करुणा
स्वर्ग के दो कारक
घृणा हरणा
12
माँ का आँचल
स्वर्ग सी गोद माँ की
स्नेह आँचल
13
आत्म सौंदर्य
भीतर सुंदरता
मन सौंदर्य
14
पवित्र मन
स्वर्ग समान बोध
स्वच्छ हो तन
15
मधुर भाव
वहीं बनता स्वर्ग
सबमें चाव
16
शिष्टाचार हो
स्वर्ग के दो कारक
सदाचार हो
17
सहानुभूति
स्वर्ग सी अनुभूति
कल्याणी नीति
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*'"
*बरेली।।*
मोब।। 9897071046
8218685464
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