*मांँ हंस वाहिनी ,सुमति दायिनी*
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मांँ हंस वाहिनी सुमति दायिनी,
अपनी करुणा बरसाओं मां,
स्फटिक माला सुंदर शोभिता,
करुणा रुपेण वीणा वादिनी,
शुभ्र धवल कमलासिनी मां।
मां मैं तुम्हारे चरणों में शीश झुकाऊं,
मैं भी काव्य का राही बन जाऊं,
भावों की लड़ियों को मैं भी गूथू,
मुझ पर तुम अपनी कृपा बरसाओं मां,
यही वंदना मैं नित तुमसे करु।
हे मां अंधकार को दूर कर
दिव्य प्रकाश बिखराओ मां,
तेरी महिमा कैसे बखान करु मां,
काम ,क्रोध ,मद लोभ मन से हटा दो,
इस दुर्लभ काया को इतनी शक्ति दें दो मां
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड
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