सरस्वती वन्दना
◆◆◆◆◆◆◆◆◆
माँ सरस्वती मेरी तुमसे यही कामना,
ध्यान में डूब कर मैं तुम्हारे गीत गाता रहूँ,
कण्ठ से फूट जाये मधुर रागनी,
माँ मैं गीत गंगा में गोते लगाता रहूँ।
साधना की डगर हो सुगम माँ यहां,
तन विमल मन मगन गुनगुनाता रहूँ।
शब्द के कुछ सुमन हैं समर्पित तुम्हें,
बस चरण में इन्हें अब शरण चाहिए,
हर हृदय चले कुछ सुवासित यहां,
छन्द में ताल लय नव सृजन चाहिए।
कल्पना के क्षितिज में नये बिम्ब हों,
मन मस्तिष्क में माँ तुम्हें सजाता रहूँ।
माँ सरस्वती भजन में लगन चाहिए,
वाणी में मुझे माँ मिठास ही चाहिए,
मिट सके तम के साये प्रखर ज्योति दो,
हंस वाहिनी शुभे शत नमन चाहिए।
★★★★★★★★★★
कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें