व्यक्तिगत परिचय
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अपना नाम-
पति का नाम- श्री दीपक शर्मा
शिक्षा-
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- एम. ए.,बी. एड., एम. एड.,पी. एच डी.(हिंदी साहित्य),
संगीत भूषण, संगीत विशारद(सितार)
पद -
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असिस्टेंट प्रोफेसर (हिंदी विभाग)
इम्पल्स डिग्री कॉलेज दौसा।
साहित्यक पटल-
राष्ट्रीय साहित्यिक परिवर्तन मंच-महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष
हिंदी साहित्य परिषद -सक्रिय कार्यकारिणी सदस्य
भारतीय शिक्षण मण्डल गुजरात-सक्रिय कार्यकारिणी सदस्य
अन्य मंचों पर सक्रिय सहभागिता
प्रकाशित रचनाएँ/कृति -
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● विविध समाचार पत्रों मैं प्रकाशित काव्य रचनाएँ
● साहित्य रश्मि"-पत्रिका मैं कविताओ का प्रकाशन
● "शब्द सारथी"-सामूहिक काव्य संग्रह मैं काव्य रचनाएँ प्रकाशित
● "आचार्य महाप्रज्ञ पर आधारित वर्ल्ड रिकॉर्ड में समाहित काव्य रचना
● "हे भारतभूमि"सामूहिक काव्य मैं काव्य रचनायें प्रकाशित
● "रंग दे बसंती" साझा संग्रह
● "कोरोना वायरस" साझा काव्य संग्रह
● "स्त्री संदर्श" साझा कहानी संग्रह
● "रिकॉर्ड नम्बर130 कहानी संग्रह"में प्रकाशित कहानी
'बहिष्कार'
● अग्रसर ई पत्रिका में प्रकाशित रचनाएँ
● स्टोरी मिरर वेबसाइट पर कहानी एवं कविताओं का प्रकाशन
● काव्य रंगोली वेबसाइट पर रचनाओं का प्रकाशन
● विविध राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय समूहों में रचनाओं का
प्रकाशन
● सरदार बल्लभ भाई पटेल पर आधारित केंद्रीय निदेशालय द्वारा प्रस्तावित पुस्तक में प्रकाशनाधीन आलेख
भारत के बिस्मार्क:सरदारबल्लभ भाई पटेल
● कवि रामधारी सिंह दिनकर पर आधारित पुस्तक में प्रकाशित आलेख कुरुक्षेत्र:पराधीन भारत के आक्रोश का काव्य
● प्रेमचंद के साहित्य में नारी पुस्तक में प्रकाशित आलेख
● आदरणीय प्रधामंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी के जीवन पर प्रकाशनाधीन पुस्तक में सहभागिता।
● लोकसाहित्य पर आधारित पुस्तक में सहभागिता
● दर्शन रश्मि ई पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन
●साहित्य रश्मि ई पत्रिका में रचनाओं का निरन्तर प्रकाशन
● 'प्रेमचन्द के नारी पात्र' पुस्तक में सहभागिता
■ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , दौसा (राज.)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा प्रायोजित एवं
हिंदी विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद (दिसंबर 2010) "वैश्वीकरण का दावा और हिंदी की दशा एवं दिशा" विषय मे शोधार्थी के रूप मे सहभागिता।
■ कोटा विश्वविद्यालय ,कोटा की पीएच.डी.(हिन्दी)उपाधि हेतु प्रस्तुत शोध प्रबन्ध " व्यंगयकार डॉ. ओंकारनाथ चतुर्वेदी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व"।
प्राप्त सम्मान-
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1)राष्ट्र भाषा शिक्षक सम्मान2011- 12
२) वृक्षारोपण हेतु विशेष प्रमाण पत्र एवं सम्मान
3)साहित्यिक गतिविधियों हेतु प्रशस्ति पत्र विद्यालय स्तर
4)माननीय जिला कलेक्टर द्वारा जिला स्तर पर शिक्षण
संस्थान मैं शत -प्रतिशत शिक्षण कार्य हेतु सम्मान पत्र
15 अगस्त 2012
5 ) विशाल लघुकथा सम्मेलन में प्राप्त सम्मान पत्र
6 ) साहित्य अँचल मंच पर अनेक बार काव्य पाठ हेतु प्राप्त सम्मान पत्र
7 )साहित्य लहर मंच पर कवि सम्मेलन में प्राप्त सम्मान पत्र
8 )साहित्यिक मण्डल मंच-8 पर साप्ताहिक प्रतियोगिता में अनेक बार प्रथम पुरष्कृत रचना का सम्मान पत्र
9 )राष्ट्रभाषा ब्राह्म मंच पर कविता पाठ हेतु प्राप्त सम्मान पत्र
10 ) मीन साहित्य हिंदी मंच पर प्राप्त सम्मान
(1) फूलवती देवी सम्मान
( 2) मातृ दिवस विशेष सम्मान
11 ) विविध साहित्यिक ज्ञान एवं साहित्यिक प्रतियोगिताओं में सहभागिता एवं प्राप्त सम्मान पत्र
12 ) अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक वेबिनारों में सक्रिय सहभागिता
13 ) सामाजिक कार्यक्रमों व शैक्षिक कार्यक्रमों में सक्रिय सहभागिता एवं निर्णायक समिति में निर्णायक की भूमिका सम्हालने का परम सौभाग्य एवं प्राप्त सम्मान
14 ) विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर मंच संचालन एवं सांस्कृतिक तथा साहित्यिक कार्यक्रमों में सहभागिता का प्रमाण पत्र
15 ) साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर मंच-8 की साप्ताहिक लेखन प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ सृजन सम्मान
16 )अभिव्यक्ति ई पत्रिका के विशेष एवं मासिक अंकों में नियमित सहभागिता
17 )विविध ई पत्रिकाओं एवं मंचों पर काव्य लेखन, आलेख लेखन एवं काव्य पाठ में सहभागिता
अन्य ---
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■ स्वतन्त्र लेखन कार्य
विधा--कहानी,कविता, नाटक, निबन्ध इत्यादि
■ नाटकों का सफल निर्देशन(विद्यालय एवं महाविद्यालय स्तर पर)
■ नुक्कड़ नाटक, मंचीय नाटक
■ गायन, वादन में विशेष रुचि एवं योग्यता
■ लोकनृत्य एवं शास्त्रीय नृत्य में कुशलता
■ चित्रकला
■ विगत19 वर्षों से शैक्षिक गतिविधियों से जुड़ाव
■ 2012 में प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग सेंटर मैं बतौर हिंदी शिक्षिका दैनिक व्याख्यान देने का अनुभव ।
पता- जैसवाल कोठी के पीछे, पी. जी. कॉलेज के पास
आगरा रोड, दौसा (राजस्थान) 303303
ई. मेल- nirmalsharma1818@gmail.com
वृद्धाश्रम
जीवन के रंगमंच का
आखिरी मंचन है वृद्धाश्रम
जीवन काल का परिपक्व
कालखंड है यह स्वशासन
क्या खोया ,क्या पाया, क्या था ?
जिसे मैं पूर्ण नहीं कर पाया
एकाकी जीवन की चौखट पर
मानसिक द्वंद्व का अंतर्द्वंद्व है
गीता के ज्ञान का मिलता
यहीं ज्ञान अवलंब है
मानव जीवन के कष्ट से
मिला मैं यहां जाना हर सत्य है
विकल्पों का स्थान नहीं
चलता यूँ ही जीवन है
जीवन की पाठशाला का
यह भी मानो एक लंबा प्रसंग
क्यों ??मैं प्रतीक्षारत हूं
प्रतिध्वनियों के लिए
नियम विज्ञान का
जीवन में प्रतिध्वनित होता नहीं
पानी के बुलबुले सी स्मृतियां
बनकर मानो मिटती चली
यादों की स्याही भी अब
बह कर स्वतंत्र होने लगी
चुभन भरी मन में
कसक सी रहती है क्षण
उसे जीवन का आधार बना
उत्साह मैं स्वयं में भर लूं
जीवन की आखरी शाम को
जी भर कर जिंदादिली से जी लूं
बढूं आगे अविरल
क्यों देखूं पीछे मुड़कर
खुशी पर किसी का पंजीकरण नहीं
क्यों शुल्क भरुँ रोकर
वृद्धाश्रम को कर्म क्षेत्र बनाकर
क्यों ना चंद यादें सजा लूं
अंतिम सफर में बढ़ते हुए
स्वयं को प्रकाशमान सितारा बना लूं
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
भूख बड़ी या कोरोना
कोरोना महामारी जब आई
संग अनेक समस्या लाई
लॉक डाउन का पडा है साया
हर मन है थोड़ा घबराया
सूनी गलियाँ सूनी सड़कें
हवा से केवल खिड़कियाँ ही खड़कें
डगमग होते जीवन में अब
खड़ी है विपदा बाहें खोले
छूटा काम, दाम भी बीते,
रैना निकले अखियाँ मीचे
कैसे पालन करूँ कुटुम्ब का
चिंता की रेखा यूँ बोले
सिमटी आंतें पेट भी सुकड़ा
कहाँ से लाऊँ रोटी का टुकड़ा
कोरोना की महामारी ने
सुख और चैन सभी कुछ छीना
विकल हुआ मन तन है जर्जर
नैनों में अश्रुओं की धारा
कोरोना ने जीवन छीना
कैसे कहूँ में मन की पीड़ा
भूख की हूक उठे जब तन में
मन का भी हर कोना फीका
कैसे बैठूँ घर में भगवान
मुझे सताती चिंता हर शाम
भूख से बेकल बच्चों के चेहरे
कदम मेरे घर में कैसे ठहरें
भूख बड़ी है कोरोना से
करूँ काम निकलूँ में घर से
करूँ जतन अपने पुरुषार्थ से
प्राण न निकले भूख से उनके
डॉ. निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
" चंदन री महक"
बात वही सुणाऊँ पुराणी
चित्तौड़ रे महलां री कहाणी
पन्ना धाय री ममता झळकै
इत उत षड़यंत्र खड़ा पनपै
स्वामिभक्त वा बड़ी बलिदानी
राजपूती इतिहास री अमर कहाणी
चन्दन री माँ धाय उदय री
ममता री मूरत वा प्रलय सी
बनवीर क्रूर बड़ा आततायी
चित्तोड़ री जनता बड़ी दुखयाई
हाय!री विधना काँई लिख्यो या
हिवड़ो फट ज्या काज हुयो वा
काल रूप बण हाथ खड्ग लै
बनवीर आयो महलां री गत में
तब राजवंश री आण बचावण
लियो कठोर निर्णय छत्राणी
आपणो पूत सजायौ मनभर
करयो दुलार प्यार जी भरकर
करयो काळजो आपणो पत्थर
उदय सिंह रे पलंग पर सुलायो
मीठी लोरी वाने गाके सुणायो
अट्टहास करतो वा आयो
पलंग रे ऊपर खड्ग चलायो
बिखरी धार खून री उस क्षण
उठ्यो जबर तूफान हिय में
चीत्कार सो गूँजयो नभ में
फिर भी सधी खड़ी छत्राणी
अँसुवन रोक सही मनमाणी
हुई न जग में ऐसी नारी
जिससे विधना भी थी हारी
धन्य धन्य!! वा वीरांगना नारी
ऐसी हिम्मत किसी में न री
बिखरी गन्ध मधुर सी प्रातः
चन्दन रे बलिदान री गाथा
डॉ0निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
किसान आंदोलन
धरतीपुत्र किसान कर रहा ,
आंदोलन महान
सदियों से बंजर भूमि को,
देता आया उर्वरता का दान
अपने श्रम के बल पर करता ,
वह सदैव अभिमान
अन्नदान हेतु अन्न उगाता,
साथी उसके खेत खलिहान
प्राचीन काल से ही खेती का,
मिला उसे वरदान
विकसित होती सभ्यता का
,वह नवीन प्रतिमान
हल की नोक से धरती को वह,
देता अकूत सम्मान
वसुंधरा को मान मातु वह,
करता उसे प्रणाम
जय जवान में नारा जुड़कर,
जब बना जय किसान
अनाज क्रांति का सैनिक बनकर,
तब किया नवीन उन्मान
अपने उद्यम और ज्ञान से
सीखा नवाचार वह किसान
तकनीक और उन्नति का उसने
पाया तब नवज्ञान
श्वेतक्रान्ति का हिस्सा बनकर
अपनाया हर कृषि अनुसंधान
सोने सा बरसा अनाज तब
मिला उसेनया वरदान
वर्तमान में विविध प्रयोग कर,
बना वह और भी बुद्धिमान
मोबाइल, इंटरनेट की सुविधा से करता,
नव प्रयोग वह जान
संकर किस्मों औऱ बीजों से
आज नहीं वह अनजान
सरकारी योजनाओं का लाभ उठाता,
साक्षर उन्नत किसान
जय जवान और जय किसान में मिलकर
बना अब जय विज्ञान
नव आंदोलन प्रारम्भ हुआ,
उन्नति करता नित हिंदुस्तान
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
वीर महाराणा प्रताप
राजस्थान री माटी पर जब राणा रो जनम हुयौ
जेठ शुक्ल री तृतीया पर कुम्भलगढ़ में सूरज चमक्यो
राजस्थान री आन रो रखवालो वा अजब बड़ो सैनानी
जीवन भर स्वाभिमान री खातर देतो रह्यो कुर्बानी
सिसोदिया वंश री धरोहर वा वीर बड़ो सम्मानी
कुम्भलगढ़ रे किला में जन्मयो जिसरी मैं लिखूँ कहानी
माता जिसरी जीतकंवर सा पिता हैं वीर उदयसिंह
त्याग, शौर्य, वीरता बलिदान में सदा आगे रह्यो वा सिंह
पूत रा पाँव पालना दीखे या कहावत चरितार्थ कर माना
बालकपन सूं सब गुण दीखै व्यक्तित्व महान था राणा
राजस्थान री आन, बान और शान रो वा रखवालो
उसरे आगे जो कोई आयौ मुँह की खायौ भाग्यो
हल्दीघाटी रा युद्ध री धरती पै प्रसिद्ध कहानी
मुगलां री सेना रा छक्का छुडायो वा तलवार रो धनी
चेतक री जब करै सवारी रण में तलवार चलावै
बैरी री सेना डर भागै केसरिया बाना ही लहरावै
दानी भामाशाह ने भी आपणो कर्तव्य निभायौ
भीलां रे सहयोग सूं राणा नै अकबर कूं झुकायौ
वा वीर शिरोमणि देशभक्त नें झुक-झुक शीश नवाऊँ
या वीरां री धरती पर ऐसो व्यक्तित्व कभी न पाऊँ
वा स्वाभिमान रो सूरज वा तो वीर बड़ौ बलिदानी
माटी रो करज चुकाने कूं जीवन री दी कुर्बानी
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
आत्महत्या!
बड़ा ही जाँबाज़
ईमानदार पुलिस अफसर था वो
होकर राजनीति का शिकार
चढ़ गया फांसी के फंदे पर
दे दी अपनी जान
चंद स्वार्थ के मारों ने
किया मजबूर उसे
कर न पाया होगा वो वीर
अपने ज़मीर से कोई समझौता
जिसने खाई थी कसम
कर्तव्य पालन की
कैसे करता वह कोई धोखा
दे ही दी जान-----
कर ली आत्महत्या!
कानून का ज्ञाता था वो
कर्तव्य पालन में मुस्तैद
पर---------न जाने
किस मानसिक तनाव की
नागिन सी रस्सी ने ढकेल दिया उसे
अकाल मौत के साये में
सिंघम कहकर पुकारा जाता था उसे
वह निडर
सबका रखवाला
शांति और अमन का मसीहा
नेकदिल वह इंसान
उसकी हालत देख
आज सभी हैरान
यक्ष प्रश्न उठा ,खड़ा हुआ---
क्या ईमानदारी की यही सज़ा है?
क्या फर्ज़ का तराजू करता फ़ना है?
क्या ड्यूटी निभाना
भ्रष्टाचारी समाज में मना है?
उसके सहकर्मी हो या आवाम
बेचैन हैं सभी दिल को नहीं आराम
आँसू सूखते ही नहीं हैं आँखों से
शोक में डूबा है शहर
ये कैसी आज चली यहाँ लहर
लोग जमा है यहाँ
कोरोना भी अभी है बेअसर
उस जाँबाज़ को नम आँखों से
श्रद्धांजलि देते
प्रश्न उनकी आँखों में भी है यथावत
भाइयो!
इस मसले को सुलझाएगी अब
कौनसी अदालत?
जिसने अन्याय को मिटाने में
अपराध का शूल निकालने में
लगा दी जान
अपनी हथेली पर रखकर
जो था श्रेष्ठ दस की सूची में ससम्मान
जिसके नाम से ही अपराधी
छोड़ अपराध भाग जाते थे डरकर
आज उसी का जीवन
उस पर ही बोझ बना क्यों?
कर्तव्य पथ पर उसके पैरों को
किसने तोड़ा और क्यों?
क्या थी वजह इस वज्रपात की
छोड़नी पड़ी दुनिया उसे--
सज़ा मिली आख़िर किस अपराध की?
आज खबर है अखबारों में--
-------------------की आत्महत्या!
प्रश्न फिर?----
ये आत्महत्या थी या हुई उसकी हत्या??
डॉ निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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