काव्य रंगोली आज के सम्मानित रचनाकार अन्जनी अग्रवाल 'ओजस्वी

संक्षिप्त परिचय


 


नाम--अन्जनी अग्रवाल ओजस्वी


पद-- शिक्षिका


निवास --कानपुर उत्तर प्रदेश


शैक्षिक योग्यता--एम.ए . BEd पत्रकारिता(हिंदी)


लेखन विधा--कविता,कहानी, लेख


 


कश्ती


#########


 


अडिग विश्वास की कश्ती।


पर होकर हम, सब सवार ।।


जाने को ,जीवन नदी के पार।


सद्कर्मों को कर,हैं हम तैयार।।


 


रख दो हम पर, कृपा वरद हाथ।


पलट कर न करे, कोई हम पर वार।


ऐसा तो हमें हे प्रभु! सदविचार।


लगा दो मेरी, जीवन कश्ती पार।।


 


जब जब भंवर ने, मुझे घेरा।


तुमने ही आकर, डाला डेरा।।


उत्पादी समुन्द्रों की, लहरों में।


तेरी मर्जी पर, जीवन पतवार।।


 


अब तो मेरी कश्ती, तेरे हवाले।


कर दो पार ,ओ जीवन रखवाले।।


बुला लो अब तो, अपने दरवार।


कही डुबा न दे, लालच की धार।।


 


अन्जनी अग्रवाल ओजस्वी


 


 


कान्हा से पुकार


 


मोह माया , स्वार्थ छल।


नही है ,अब कोई हल ।।


दिल देता बधाई, बारम्बार।


हो खुशियों भरा , त्यौहार।।


पर आशाएं,हैं भरी पड़ी ।


कान्हा दो, खुशियाँ बड़ी बड़ी।।


कोरोना काल, होता नही खत्म।


जरा धो दो ,अब ये जख्म।।


निरोग का अमृत,बरसा दो ।


ऐसी अब कोई ,धुन बजा दो।।


अशांत मन, आस्थाएं त्यागे ।


छल कपट भरा, कोरोना भागे।।


प्रीत तुम्हारी,न होगी अब कम।


बिन जीवन,कैसे करें भजन हम।।


घर मन्दिर, सारे बन्द पड़े ।


स्तुति को , जोड़े हाथ खड़े।।


तुम बिन अब,न कोई सहारा ।


जिसने हर विपदा से पार उतारा।


बिन तेरी धुन,राधा भी बेचैन।।


न मिले दिन में,न रात में चैन।।


कर दो ऐसा, कोई चमत्कार।


हो जाए चहुओर, जयजयकार।।


हो मन प्रफ़ुल्लित, सब प्रकार।


मनाएं हर्षोल्लास से, ये त्यौहार।।


एक बार तो, जग को निहारो।


मानव को ,इस त्रासदा से उबारो।।


करती विनती अन्जनी कर जोड़।


ला दो कोरोना का, कोई तोड़ ।।


 


अन्जनी अग्रवाल ओजस्वी


श्याम नगर कानपुर


उत्तर प्रदेश


 


 


मर्यादा पुरुषोतम राम


******************


ये मंदिर मर्यादा पुरुषोत्तम राम का ।


सौभाग्य सिंचित है वर्तमान का।।


धरती अम्बर गूंज रहा जयकार से ।


चहुँ ओर उल्लास अनूठा हर्ष का।


हिन्द के कोने कोने लहराए भगवा। ।।


भारतीय संस्क्रति की छाप पढ़ी है ।


कहानी भक्तों की पीढ़ी ने गढ़ी है ।।


धर्म और अध्यात्म को मिला मुकाम।


सप्तपुरी का ये भव्य मनोरम धाम।।


पूर्ण हुआ ब्रहाण्ड का शिलान्यास।


हो गई पूर्ण हिदुत्व की ये आस।।


हो गई सुसज्जित स्वर्ण अयोध्या।।


न पाए टिकने इसके आगे कोई योद्धा।।


कह अन्जनी दोनों कर जोड के ।


चलो दर्श को सब जन दौड़ कर।।


 


अन्जनी अग्रवाल 'ओजस्वी


कानपुर नगर उत्तर प्रदेश


 


 


एक सीमा पे घायल वीर सैनिक की अपील मृत्यु से कि वह खुद


ही कर्तव्य पूर्ण हो जाने पर मृत्यु का आवाहन कर लेगा


 


 


एक अपील वीर सैनिक की


************************


गूंज रहा चहु ओर यही नारा है,


ललकार मृत्यु ने आज पुकारा है।


ललकार सीमा पर रक्षा की है,


कफ़न सिर पर बाधें आये हैं हम।


राष्ट्र के अलख प्रहरी हैं हम,


न रखने देंगें दुश्मन को एक कदम।


गूंज रहा चहु ओर यही नैरा है,


ललकार मृत्यु ने आज पुकारा है।


जीवन मे संघर्ष नही हैं हमारे कम


कर्तव्य निभाकर ही अब लेंगे दम।


अमन चैन की प्रीत तो सजा दूँ,


मानवता को वह हक तो दिल दूँ।


उज्ज्वल भारत की अलख जगा दूँ,


सोते हुये प्रहरी को तो जगा दूँ।


गूंज रहा चहु ओर यही नारा हैं, ललकार मृत्यु ने आज पुकारा है।


मैं बीज वृक्ष का एक दर्पण हूँ ,


हर बार जनमता मरता रहता हूँ।


बिरासते बारीकियों की बिछा दूँ,


दिव्य पुंज की ज्योति तो जगा दूँ।


कर्मयोगी सा गीता पाठ तो कर लूँ,


थोड़ा अपना कर्तव्य तो निभा दूँ।


गूंज रहा चहु ओर यही नारा हैं, ललकार मृत्यु ने आज पुकारा हैं।


ललकार मृत्यु ने आज पुकारा है।।


 


अन्जनी अग्रवाल 'ओजस्वी'


(सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना)


कानपुर नगर उत्तरप्रदेश


 


 


जागरूकता


***********


जागरूकता फैलाओ सभी,


कर शुरू एक अभियान ।


देखो बढ़ी जागरुकता यदि,


तभी बढ़ेगा निज अभिमान।।


जागरूकता देती स्वस्थ पहचान,


शुद्ध भोजन करे जीवन आसान।


जागरूकता तो कर्तव्य हमारा,


स्वच्छता का देता यही नारा ।


जागरूकता सर्वस्य उपकार,


हर बच्चा पढ़े यही अधिकार।।


जागरुक हो करो मिशन प्रेणना काम,


मिटेंगी उलझनें मिलेगा शुभ परिणाम।


दृढ़ हो कर्तव्य रखो सब ध्यान,


जागरूक करो यही सच्चा ज्ञान।।


जारूकता से सम्पन्न हो राष्ट्र समुदाय,


इससे बढ़ा न कोई दूजा उपाय।


जागरूकता से बढ़े बेसिक की शान,


पूरे प्रदेश मे हो गई अन्जनी की पहचान।।


 


'(सर्वाधिकार सुरक्षित )


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...