मदन मोहन शर्मा 'सजल

*डमरू घनाक्षरी*


*मात्रा विहीन वर्णिक छंद -*


 8-8-8-8


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गरजत नभ घन, मदन नचत मन


तन मन बरबस, दर दर भटकत।


हरकत झलकत, दनदन दरकत


फरकत रग रग, रह रह तड़फत।


 


झमझम बरसत, डर डर बहकत


बन ठन सरपट, चह चह चहकत।


मन अब नटखट, पल पल छटपट


नयन जलद भर, रह रह मटकत।


 


सकल जगत पत,जरजर जरकत


मनहर दरसन, नजरन मचलत।


चखकर रस मन, नटखट छणछण


रजकण दमकत, चमकत बरसत।


 


नटवर नटखट, छलबल घर तट


हसरत मनभर, जरजर जरकत।


दरशन रस चख, चरणन सर रख


नचत नयन जन, अवयव सरकत।


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*मदन मोहन शर्मा 'सजल'*


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