दौड़ी आती मात
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माता दुर्गति नाशिनी, सर्व करें कल्याण।
महागौरी स्वरूपिणी, दूर करे सब त्राण।।
दूर करे सब त्राण, सुख भंडार यह भरती।
करती जग उद्धार, आपदा सारी हरती।।
कहे सजल कविराय, दुर्दिन जब भी सताता।
दौड़ी आती छोड़, सिंह सिंहासन माता।।
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मदन मोहन शर्मा सजल
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