निशा अतुल्य

मन का दर्पण चेहरा तेरा


रूप सलोना दिखलाता है 


करे कर्म जब अच्छे तू 


तेरा चेहरा खिल जाता है ।


 


कर्म आईना जीवन का हैं


जो छवि हमारी बनाते हैं 


अच्छे कर्म जग में रह जाते


जो याद सबको दिलातें हैं ।


 


देख सूरत को आईने में 


मत रूप पे अपने रीझ इतना


रंग रूप ढल जायेगा जब


बुरा लगेगा तब ये कांच का आएना ।


 


आँखों का दर्पण सुन्दर है 


मन के भाव दिखाता है 


चेहरा तेरा सुन्दर आईना


जो तेरी याद दिलाता है ।


 


निर्मल मन और सत्य भावना


लेकर अपने संग चलो 


सबसे सुंदर स्वयं हो आईना


बात सदा ये ध्यान धरो ।


 


स्वरचित


निशा अतुल्य


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