निशा अतुल्य

आज दूसरे नवरात्र पर


माँ ब्रह्मचारिणी की स्तुति


18.10.2020


 


 


ब्रह्मचारिणी 


द्वितीया में आई माँ


माँ पद यात्री ।


 


पुत्री प्यारी है


विष्णु यशा पिता की


देती ज्ञान है ।


 


एक हाथ है 


ध्यान की माला धारे


ध्यान दाता है ।


 


दूजे हाथ है


कमंडल माँ आना


मेरे द्वार है ।


 


ऋग् अथर्व 


साम यजुर् पुत्र हैं 


सिद्ध दात्री माँ ।


 


सौम्य स्वभाव 


रूप लुभावन माँ


वर दे जाता ।


 


कृपा तुम्हारी


सद विचार रहें


आशीष दो माँ ।


 


आरती गाऊँ


धूप दीप जलाऊँ


नमन है माँ ।


 


भोग लगाऊँ


तुम्हें रिझाऊँ माता


वर मैं पाऊँ ।


 


स्वरचित 


निशा"अतुल्य"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...