दीप जले
20.10.2020
दो नैनो में दीप जले हैं,
मन के भाव कहाँ चले हैं।
ढूंढ रहे हैं सभी सितारे,
मन को ये बात खले हैं।
आ जाओ तुम पास हमारे
हमको नही अब चैन मिलें हैं ।
सोच सोच घबराए मनवा
बोलो साजन कहाँ चले हैं ।
प्रेम हमारा रात की रानी
देखो तो हर रात खिले है ।
साँझ सकारे तुम्हें पुकारे
मन के मीत कहाँ मिलें है ।
साजन अब मुस्काए बेला
गजरा तुमरे संग सजे हैं ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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