अंजुमन
9.10.2020
चाँद सँग चाँदनी रात मुस्कुराने लगी
अंजुमन मेरी मिलकर सजाने लगी ।
वो जो आये करीब मेरे हमनवा
जिंदगी फिर मेरी गुनगुनाने लगी ।
लब खोलो कुछ तो बोलो सनम,
जुगनु सी आँख टिमटिमाने लगी।
साथ चलना सदा ओ मेरे हमनवा
प्यार के नगमे अब मैं सुनाने लगी ।
रूप सादा सा है मेरे प्यार का
सपने नैनों में अब मैं सजाने लगी ।
रात रानी बन महकुंगी सदा तेरे सँग
चाँद तारों सी मैं झिलमिलाने लगी ।
आ चलें दूर तक फ़लक पर सनम
रात तारों भरी अब चमचमाने लगी ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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