दिल मानता नहीं
10.10.2020
माहिया
बतिया सुन लो साजन
नैना बोल रहे
छवि तेरी मन भावन ।
ये दिल मानता नहीं
होगा क्या साजन
मन लगता नहीं कहीं
दिल मेरा माने ना
आओ तुम प्रियवर
आए तब ही चैना ।
क्यों नींद उड़ाते हो
नींदों में आकर
मुझको भरमाते हो ।
जी चैन नहीं पाता
देखूं सूरत तो
दिन मेरा बन जाता ।
चलो दोनों सँग चलें
राहें कट जाती
मुश्किल जो कोई पड़े ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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