तब आना,तुम मेरे पास प्रिये
लख चौरासी,भोग के आया
बड़े भाग,मानुष तन पाया
झुठ,कपट और धन का गरब
जिस दिन,ये सब छुट जावे
तब आना,तुम मेरे पास प्रिये
सत्कर्म कर,हरिनाम सुमर लेे
मेरी मेरी कहना,तू छोड़ दें
तजि दे,वचन कठोर जिस दिन
तब आना,तुम मेरे पास प्रिये
तेरा निर्मल रूप,अनूप है
नहीं हाड,मांस की काया
व्यापक ब्रम्ह,स्वरूप का ज्ञान
जिस दिन तुझे,मिल जावे
तब आना, तुम मेरे पास प्रिये
मोहन प्रेम बिना,नहीं मिलता
चाहे कर लो,लाख उपाय
ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े तो पंडित होय
जिस दिन तुझे,ये ज्ञान हो जावे
तब आना, तुम मेरे पास प्रिये
मै नहीं,मेरा नहीं,यह तन किसी का है दिया
जो भी अपने पास है,यह धन किसी का है दिया
जो मिला है,वह हमेशा पास नहीं रहेगा
जिस दिन समझ में आ जावे, जिंदगी का राज
तब आना, तुम मेरे पास प्रिये
नाम लिया हरि का, जिसने
तिन और का नाम लिया न लिया
निश दिन बरसत, नैन हमारे
अंखियां हरि दर्शन की प्यासी
जिस दिन समझ में आ जावे
प्रभु बिना चैन,नहीं है
तब आना, तुम मेरे पास प्रिये
नूतन लाल साहू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें