एक विचारणीय प्रश्न
यहां कौन सुखी है
सादा जीवन,उच्च विचार
लोग,ये भुल रहे हैं
ओद्यौगिक विकास के चक्कर में
हाथी की तरह,फूल रहे हैं
देश में पानी,पैसे से मिलता है
दवा जैसे चीज,मुफ्त में चाहिये
खजूर पेड़ की भांति,बड़ा बनने की चाहत है
बताओ, यहां कौन सुखी है
मुट्ठी बांधकर,आया है जग में
हाथ पसारे,जाना है तुम्हे
प्रभु ने दिया है,मुफ्त में
यश, धन, वैभव,अपार
सत्कर्मों से हासिल करना है,तुम्हे
कुछ करनी और कुछ कर्म गति से
सुर दुर्लभ मानुष तन,मिला है तुम्हे
खजूर पेड़ की भांति,बड़ा बनने की चाहत है
बताओ, यहां कौन सुखी है
हानि लाभ, जीवन मरण
यश अपयश,सब विधि के हाथ है
आम आदमी, यूं लगा है
जैसे पिचका,पक्का आम
क्यों आया है,इस संसार में
समझ न सका,अब तक इंसान
कौन कितने दिन, टिका रहेगा
यह नहीं है, इंसान के हाथ में
खजूर पेड़ की भांति, बड़ा बनने की चाहत है
बताओ, यहां कौन सुखी है
इस संसार में,हर बंदा के लिए
दाना पानी,लिखा हुआ है प्रभु ने
ऊपर वाले,किसी भी प्राणी को
भूखा पेट,नहीं सुलाता है
बचपन,यौवन और बुढ़ापा
बहुत सोचकर,बनाया है
इंसान,अपने जन्मदाता को क्यों भुल रहा है
खजूर पेड़ की भांति, बड़ा बनने की चाहत है
बताओ, यहां कौन सुखी है
नूतन लाल साहू
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