नूतन लाल साहू

धूप और छांव


 


चिंता से दुर रहो


चिंता, चिता समान


दुःख की आंसू पीकर


बांटे जा, मुस्कान


जीवन का रहस्य


न समझा, इंसान


जिंदगी में आते ही रहेगा


कभी धूप, तो कभी छांव


सोच सोच कर स्वयं को


क्यूं हो रहा है,हैरान


प्रभु कर्मो का फल,दे रहा है


विधि का है,अटल विधान


जो देता हैं, ईश्वर


उसमे रख,संतोष


लालच में पड़कर, कभी


खो मत देना,अपना होश


जिंदगी में, आते ही रहेगा


कभी धूप, तो कभी छांव


तुम सबसे,कहते रहे


दुनिया बड़ी,खराब


अपने दोषों का मगर


रक्खा नहीं,हिसाब


क्यों भिड़ता है,समय से


समय हैं,बहुत बलवान


बड़े बड़ों के,समय ने


काट दिये है, कान


जिंदगी में आते ही रहेगा


कभी धूप, तो कभी छांव


समय आयेगा,समय पर


इसको निश्चित, जान


समय से पहले किसी को


नहीं मिला,सम्मान


खुद अपने हाथो से


खींचे,भाग्य लकीर


बिना परिश्रम के,नहीं बनती


इंसानों का तक़दीर


जिंदगी में आते ही रहेगा


कभी धूप, तो कभी छांव


नूतन लाल साहू


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