नूतन लाल साहू

सत्य की शक्ति


 


निर्भीक वहीं होता है


जो सत्यवादी होता है


सत्य,वहीं बोल सकता है


जो निर्भीक होता है


राजा हरिश्चन्द्र


साक्षात उदाहरण है


बूढ़ा,बच्चा और जवान


उन्हें आज भी याद करता है


यही तो सत्य की, शक्ति है


अगर कोई,खिलाफ होता है


तो,हो जाने दो


ये सब धुआं है


कोई आसमान थोड़ी है


चांद और सूरज अटल है


कोई बदल नहीं पाया,इसके पथ को


यही तो सत्य की,शक्ति है


जिंदगी तो हमारी है


आखिरी सांस भी,तुम्हारी है


सांच को आंच,नहीं प्यारे


प्रभू जी भी,साथ देता है


जो झूठ का सहारा लेता है


सर झुकाकर,बात करता है


दिन वहीं है, रात भी वही है


यही तो सत्य की,शक्ति है


ये जमाना,लाख गुजरे


छोटे बड़े कई,हादसों से


पर जो,सत्य पथ पर अडिग रहता है


उसे कोई डर,नहीं रहता है


ये जिंदगी की असलियत,क्या है


खुद ही,समझ जाओगे


जिस दिन,राजा हरिशचंद्र और


भक्त प्रहलाद,को जान जाओगे


सत्य की डगर,कठिन होता है


पर वही,भवसागर पार कराता है


यही तो सत्य की,शक्ति है


नूतन लाल साहू


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