नूतन लाल साहू

चलते रहो


 


समझ न पाया,कोई भी


अपनी तकदीरो का राज


जरा जरा सी बात पर


क्यों रोता है,इंसान


एकदिन आता है,सबका शुभ समय


रुको मत,बस चलते रहो


होनी तो होकर ही रहेगा


बदल न सका है,इंसान


पर मुस्कान के सामने


आंसू हो जाता है,मौन


एकदिन आता है,सबका शुभ समय


रुको मत, बस चलते रहो


बैठा तो है,हृदय में


जग का पालनहार


ढुंढ रहे हो,क्यों उसे


मंदिरो में बेकार


एकदिन आता है,सबका शुभ समय


रुको मत, बस चलते रहो


भूत भविष्य को भुलकर


समझ जा,आज का राज


जीवन में आंनद का


पा जायेगा,तू ताज


एकदिन आता है,सबका शुभ समय


रुको मत, बस चलते रहो


है छोटी सी जिंदगी


सीमित है,तेरी श्वास


यह जीवन,इक युद्ध है


कभी जीत तो,कभी है हार


एकदिन आता है, सबका शुभ समय


रुको मत, बस चलते रहो


नूतन लाल साहू


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