नूतन लाल साहू

सांच को आंच नहीं प्यारे


 


आता है सबका शुभ समय


फिर काहे को रोता है


लिख के रख ले, एक दिन


काम तुम्हारा,होगा


समझ न पाया,कोई भी


तकदीरो का,राज


भक्त प्रहलाद सा,अटल विश्वास हो तो


सांच को आंच,नहीं प्यारे


अगर कुछ,बुरा भी हो जाये


तो खो मत देना, होश


हरि की इच्छा समझकर


कर लेना,मन में संतोष


बिगड़ी बनाने वाला,ऊपर वाला है


एकाध नहीं हो पाया,तो


क्यों शोर,मचाता है


राजा हरिश्चन्द्र जैसा,दृढ़ विश्वास हो तो


सांच को आंच,नहीं प्यारे


कितना भी जालिम हो जाये


कुदरत का कानून


चाहे दुश्मन,अपनी उम्र भर


करता रहे,कुछ भी उपाय


हानि लाभ,जीवन मरण


यश अपयश,विधि के हाथ


पसीने की बूंदें,देती हैं आह्लाद


सांच को आंच,नहीं प्यारे


प्रारब्धों का योगफल और


कई जन्मों के कर्मफल से


बनता है,मनुष्य का भाग्य


दोष देखना,दूसरो का


बंद कीजिये, आप


कुदरत नित देती नहीं है


दुःख सुख की सौगात


जो देता है ईश्वर,उस पर रख संतोष


सांच को आंच, नहीं प्यारे


नूतन लाल साहू


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