नूतन लाल साहू

एक सुखद जीवन की परिकल्पना


 


मस्तिष्क में सत्यता


होठो पर प्रसन्नता


हृदय में पवित्रता जरूरी है


यही सुखद जीवन की परिकल्पना है


राग द्वेष की त्याग


मन में संतोष


हर पल आत्मविश्वास जरूरी है


यही सुखद जीवन की परिकल्पना है


दुनिया बड़ी खराब


जीवन एक सराय


जिंदगी का दिन, दो चार


विधि का है अटल विधान ये ज्ञान जरूरी है


यही सुखद जीवन की परिकल्पना है


दुनिया तो चारो युगों में वही


सुख दुःख तो मेहमान


ईश्वर कर्मो का फल देता हैं ये ज्ञान जरूरी है


यही सुखद जीवन की परिकल्पना है


यश धन वैभव के पीछे नहीं भाग


जो बीता तो ठीक था,यह जान


हरि इच्छा में छिपा है मानव कल्याण


इस सच्चाई की ज्ञान जरूरी है


यही सुखद जीवन की परिकल्पना है


रब पर पूरी आस्था


मन हो संतुलित


शक संशय न पाल


पाप घृणा के योग्य है,ये ज्ञान जरूरी है


यही सुखद जीवन की परिकल्पना है


नूतन लाल साहू


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