सावधान भारत मां के दुश्मनों
छक्के छुड़ा देते हैं, हम
दुश्मनों के, हर चाल को
हम वो पत्थर हैं,जिसे
दुश्मन,हिला सकते नहीं हैं
दुश्मनो के हैं,हम दुश्मन
यारो के,हम यार हैं
अमन में,फूलो की डाली
जंग में हम,तलवार है
हम वो पत्थर है,जिसे
दुश्मन,हिला सकते नहीं हैं
खेल नहीं है,अब टकराना
आजादी के दीवानों से
लाखो फौजे,लेकर आ जाये
टिक नहीं सकता,हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं,जिसे
दुश्मन, हिला सकते नहीं है
हमारे बाजुओं में,आंधियों का जोर है
हमारी धड़कनों में, बादलों का शोर है
चली गई,अब गमो की रात
खुशी का सबेरा,हो गया है
हम वो पत्थर हैं,जिसे
दुश्मन,हिला सकते नहीं हैं
भारत मां की,धरती पर
यदि किसी,गैर का कदम पड़ा तो
उस कदम का,निशान तक
मिटा देंगे,हम
छक्के छुड़ा देते है,हम
दुश्मनों के हर चाल को
हम वो पत्थर है,जिसे
दुश्मन,हिला सकते नहीं हैं
नूतन लाल साहू
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